World – UP Headline https://upheadline.live Mon, 16 Dec 2024 10:49:30 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8 अपार्टमेंट की छत पर दौड़ती हैं फर्राटे से गाड़ियां, नीचे रहते हैं सैकड़ों परिवार, पूछने लगे लोग- ‘कपड़े कैसे सूखते हैं?’ https://upheadline.live/2024/12/16/cars-run-fast-on-the-roof-of-the-apartment-hundreds-of-families-live-below/ https://upheadline.live/2024/12/16/cars-run-fast-on-the-roof-of-the-apartment-hundreds-of-families-live-below/#respond Mon, 16 Dec 2024 10:49:30 +0000 https://indiavoicetimes.com/?p=2119 बीजिंग : विज्ञान के साथ ही इंसान ने काफी ज्यादा तरक्की कर ली है, अब इंसान के द्वारा ऐसे-ऐसे नमूने तैयार कर दिए जाते हैं जिस विश्वास नहीं होता है. लेकिन इन दिनों एक वीडियो सामने आया है जिसमें जहां घर की छत पर हाइवे बना हुआ है. इतना ही नहीं, इस पर गाड़ियां और बसें फर्राटा भरती नजर आ रही हैं.

अपार्टमेंट की छत पर दौड़ती हैं गाड़ियां

वायरल वीडियो में एक सड़क दिखाई पड़ रही है. इस पर वाहन तेजी से गुजर रहे हैं. लेकिन इस पर जरा सा नीचे देखने पर आपको दिखाई देगा कि बिल्डिंग्स हैं. इतना ही नहीं अपार्टमेंट के ठीक ऊपर ओवरब्रिज बना हुआ है, जिस प गाड़ियां दौड़ रही हैं. वहीं अपार्टमेंट भी खाली नहीं है बल्कि इसमें लोग परिवार के साथ रहते हैं.

9 लाख से अधिक लोग देख चुके हैं वीडियो

वायरल वीडियो चीन का बताया जा रहा है. इसको इंस्टाग्राम पर itschina.baby नाम के अकाउंट से शेयर किया गया है. इस वीडियो को अब तक 9 लाख से अधिक लोग देख चुके हैं और 19 हजार से अधिक लोग पसंद कर चुके है. इसको लेकर एक यूजर ने लिखा- वो तो सब ठीक है लेकिन छत पर कपड़े कैसे सूखेंगे? वहीं एक अन्य यूजर ने कहा कि यदि भूकंप आ गया तो? वहीं अधिकतर यूजर्स का कहना था कि चीन को ओवरब्रिज पर इतना अधिक भरोसा?

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बांग्लादेश: शेख हसीना पर लगा जबरन लोगों को गायब करने का आरोप, जानें पूरा मामला https://upheadline.live/2024/12/15/bangladesh-sheikh-hasina-accused-of-forcibly-disappearing-people-know-the-whole-matter/ https://upheadline.live/2024/12/15/bangladesh-sheikh-hasina-accused-of-forcibly-disappearing-people-know-the-whole-matter/#respond Sun, 15 Dec 2024 10:51:52 +0000 https://indiavoicetimes.com/?p=2088 ढाका: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना नई मुश्किलों में फंस गई हैं. बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के शासन में गठित एक आयोग ने जांच के बाद चौंकाने वाली रिपोर्ट दी है. इसमें कहा गया है कि देश से गायब हुए 3500 लोगों में शेख हसीना का हाथ है. आयोग ने ‘सच का खुलासा’ नामक रिपोर्ट सौंपी है. इसमें शेख हसीना के साथ -साथ कई वरिष्ठ अधिकारियों के शामिल होने का खुलासा किया है.

बांग्लादेश में अंतरिम सरकार द्वारा गठित एक जांच आयोग ने अपनी अनंतिम रिपोर्ट में कहा है कि शेख हसीना की कथित जबरन गायब करने की घटनाओं में उनकी संलिप्तता पाई है. जबरन गायब किये जाने की जांच के लिए गठित आयोग ने अनुमान लगाया है कि जबरन गायब किये जाने वालों की संख्या 3,500 से अधिक होगी.

यूनुस के मुख्य सलाहकार (सीए) के कार्यालय की प्रेस शाखा ने शनिवार रात एक बयान में कहा, ‘आयोग को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के जबरन गायब होने की घटनाओं में प्रशिक्षक के रूप में शामिल होने के सबूत मिले हैं.’

इसमें कहा गया है कि अपदस्थ प्रधानमंत्री के रक्षा सलाहकार मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) तारिक अहमद सिद्दीकी, राष्ट्रीय दूरसंचार निगरानी केंद्र के पूर्व महानिदेशक और बर्खास्त मेजर जनरल जियाउल अहसन, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मोनिरुल इस्लाम और मोहम्मद हारुन-ओर-रशीद और कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी इन घटनाओं में शामिल पाए गए.

पूर्व सैन्य और पुलिस अधिकारी फरार हैं. माना जाता है कि वे 5 अगस्त को छात्र नेतृत्व वाले विद्रोह के बाद हसीना की अवामी लीग सरकार के सत्ता से बाहर होने के बाद से विदेश में हैं. यह बयान ऐसे समय में आया है जब जबरन गायब किए जाने की जांच करने वाले पांच सदस्यीय आयोग ने शनिवार देर रात मुख्य सलाहकार को उनके आधिकारिक यमुना आवास पर अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपी.

बयान के अनुसार आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश मैनुल इस्लाम चौधरी ने यूनुस को बताया कि जांच के दौरान उन्हें एक ‘व्यवस्थित डिजाइन’ मिला, जिसके कारण जबरन गायब होने की घटनाओं पता नहीं चल सका. आयोग ने आतंकवाद विरोधी अधिनियम 2009 को समाप्त करने या उसमें पूर्ण संशोधन करने के साथ-साथ आरएबी को समाप्त करने का भी प्रस्ताव रखा.

अधिकार कार्यकर्ता और आयोग के सदस्य सज्जाद हुसैन ने बताया कि उन्होंने जबरन गायब किए जाने की 1,676 शिकायतें दर्ज की हैं और अब तक उनमें से 758 की जांच की है. इनमें से 200 लोग या 27 प्रतिशत पीड़ित कभी वापस नहीं लौटे जबकि जो लोग वापस लौटे उनमें से ज़्यादातर को गिरफ़्तार करके रिकॉर्ड में दिखाया गया.

आयोग में अध्यक्ष के अलावा न्यायमूर्ति फरीद अहमद शिबली, मानवाधिकार कार्यकर्ता नूर खान, निजी बीआरएसी (BRAC) विश्वविद्यालय की शिक्षिका नबीला इदरीस और मानवाधिकार कार्यकर्ता सज्जाद हुसैन शामिल हैं. इससे पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आयोग ने घोषणा की कि उन्हें ढाका और उसके बाहरी इलाकों में आठ गुप्त हिरासत केंद्र मिले हैं.

पैनल के अध्यक्ष ने शनिवार को यूनुस को सूचित किया कि वे मार्च में एक और अंतरिम रिपोर्ट पेश करेंगे और उन्हें प्राप्त सभी आरोपों की जांच पूरी करने के लिए कम से कम एक और साल की आवश्यकता होगी. यूनुस के हवाले से कहा गया, ‘आप वास्तव में बहुत महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं. हम आपको हर तरह की सहायता देने के लिए तैयार हैं, जिसकी आपको आवश्यकता है.’ टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर कथित जबरन गायब किए जाने के कई पीड़ितों के साक्षात्कार दिखाए गए, जिनमें पूर्व सैन्य अधिकारी और विपक्षी कार्यकर्ता शामिल थे, जो हसीना के शासन का विरोध करने में सक्रिय थे.

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राष्ट्रपति की कुर्सी से हटने से पहले बाइडेन का क्षमादान, 1500 लोगों के गुनाह किए माफ, 4 भारतवंशी भी https://upheadline.live/2024/12/14/before-stepping-down-from-the-presidency-biden-pardoned-the-crimes-of-1500-people-and-also-4-indians/ https://upheadline.live/2024/12/14/before-stepping-down-from-the-presidency-biden-pardoned-the-crimes-of-1500-people-and-also-4-indians/#respond Sat, 14 Dec 2024 10:51:01 +0000 https://indiavoicetimes.com/?p=2057 वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का कार्यकाल अगले साल जनवरी में खत्म होने वाला है. इससे पहले वे कई बड़े फैसले ले रहे हैं. इसी सिलसिले में उन्होंने अमेरिकी जेलों में बंद करीब 1500 कैदियों की सजा को माफ कर दिया है. इनमें चार भारतीय मूल के अमेरिकी भी शामिल हैं. जो खबर मिली है उसके मुताबिक ये चार भारतीय अमेरिकी हैं मीरा सचदेवा, बाबूभाई पटेल, कृष्णा मोटे और विक्रम दत्ता.

अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने बयान जारी करते हुए कहा कि अमेरिका का निर्माण संभावना और दूसरे मौकों के वादे पर हुआ था. राष्ट्रपति होने के नाते मुझे उन लोगों पर दया दिखाने का बड़ा सौभाग्य मिला है. इन लोगों को पश्चाताप के साथ-साथ दुख भी है और ये लोग समाज की मुख्य धारा में लौटना चाहते हैं. इनमें खासकर ड्रग्स के नशे मामले में दोषी ठहराए गए लोग शामिल हैं. उन्होंने आगे कहा कि इसीलिए, आज मैं ऐसे 39 लोगों को माफ कर रहा हूं. मैं लगभग 1,500 लोगों की सजा भी माफ कर रहा हूं, जो जेल में लंबी सजा काट रहे हैं. यह हाल के समय में एक दिन में की गई सबसे बड़ी क्षमादान कार्रवाई है.

बता दें, दिसंबर 2012 में, डॉ. मीरा सचदेवा को मिसिसिपी के एक पूर्व कैंसर सेंटर में धोखाधड़ी के लिए 20 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी और लगभग 8.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर वापस करने का आदेश दिया गया था. अब वह 63 वर्ष की हो चुकी हैं. बाबूभाई पटेल को 2013 में स्वास्थ्य सेवा में धोखाधड़ी, ड्रग साजिश और ड्रग उल्लंघन के लिए 26 मामलों में 17 साल की सजा सुनाई गई थी. 2013 में ही, 54 वर्षीय कृष्णा मोटे को 280 ग्राम से अधिक क्रैक कोकीन और 500 ग्राम से अधिक कोकीन वितरित करने की साजिश रचने और सहायक और दुष्प्रेरक के रूप में क्रैक कोकीन वितरित करने का दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.

63 वर्षीय विक्रम दत्ता को जनवरी 2012 में मैनहट्टन संघीय अदालत ने 235 महीने की जेल की सजा सुनाई थी, जब उन्हें एक मैक्सिकन नारकोटिक्स संगठन के लिए लाखों डॉलर का धन शोधन करने के लिए अपने इत्र वितरण व्यवसाय का उपयोग करने से उत्पन्न षड्यंत्र के आरोपों का दोषी पाया गया था.

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काबुल में बड़ा धमाका, तालिबान सरकार के मंत्री को बम से उड़ाया, पाकिस्तान ने कही बड़ी बात https://upheadline.live/2024/12/12/big-explosion-in-kabul-taliban-government-minister-was-bombed/ https://upheadline.live/2024/12/12/big-explosion-in-kabul-taliban-government-minister-was-bombed/#respond Thu, 12 Dec 2024 10:38:35 +0000 https://indiavoicetimes.com/?p=2002 इस्लामाबाद : अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में बुधवार को एक आत्मघाती बम विस्फोट में तालिबान सरकार के शरणार्थी मामलों के मंत्री की मौत हो गई. यह जानकारी गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने दी. अधिकारियों के मुताबिक विस्फोट मंत्रालय के भीतर हुआ.

इस वजह से शरणार्थी मामलों के मंत्री खलील हक्कानी की मौत हो गई. बता दें कि खलील हक्कानी ऐसे वरिष्ठ पदाधिकारी थे जिनकी अफगानिस्तान में तालिबान के द्वारा सत्ता प्राप्त किए जाने के तीन साल के अंदर बम विस्फोट में मौत हुई है. हालांकि तत्काल बम विस्फोट की किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली है.

अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, हक्कानी हक्कानी नेटवर्क का एक वरिष्ठ नेता था, जो तालिबान के भीतर एक शक्तिशाली आतंकवादी गुट है. हक्कानी समूह पर 20 साल के विद्रोह के दौरान पूरे अफगानिस्तान में बड़े हमले करने का आरोप है.

बता दें उसका भतीजा, सिराजुद्दीन हक्कानी, अब नेटवर्क का नेतृत्व करता है और तालिबान के कार्यवाहक आंतरिक मंत्री के रूप में कार्य करता है. 2021 में तालिबान द्वारा देश पर कब्जा करने के बाद से अफगानिस्तान में हिंसा कम हो गई है, जिससे संयुक्त राज्य अमेरिका और नाटो के नेतृत्व वाली विदेशी सेनाओं के खिलाफ उनका युद्ध समाप्त हो गया है.

हालांकि, इस्लामिक स्टेट की क्षेत्रीय शाखा, जिसे इस्लामिक स्टेट खुरासान के नाम से जाना जाता है, देश में सक्रिय है. आईएसआईएस खुरासन नियमित रूप से नागरिकों, विदेशियों और तालिबान अधिकारियों को बंदूक और बम हमलों के जरिए निशाना बनाती रही है.

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दक्षिण कोरिया के पूर्व रक्षा मंत्री ने की अंडरवियर से सुसाइड की कोशिश, जानें क्यों उठाया ये कदम https://upheadline.live/2024/12/11/former-defense-minister-of-south-korea-attempted-suicide-with-underwear-know-why-he-took-this-step/ https://upheadline.live/2024/12/11/former-defense-minister-of-south-korea-attempted-suicide-with-underwear-know-why-he-took-this-step/#respond Wed, 11 Dec 2024 09:57:42 +0000 https://indiavoicetimes.com/?p=1966 सियोल: दक्षिण कोरिया में इमरजेंसी लगने के बाद हालात कुछ ठीक नहीं चल रहे हैं. ताजा जानकारी के मुताबिक राष्ट्रपति यून सुक योल के ऑफिस पर रेड पड़ने की खबर सामने आई है. दक्षिण कोरियाई पुलिस ने उनके दफ्तर पर छापेमारी की है. इससे पहले सोमवार 9 दिसंबर को राष्ट्रपति के देश छोड़कर बाहर जाने पर भी बैन लगाया गया.

बता दें, देश में 3 दिसंबर को मॉर्शल लॉ लगाने के चलते उनके खिलाफ जांच की जा रही है. इसी वजह से उनके देश से बाहर जाने पर प्रतिबंध लगाया गया है. दक्षिण कोरिया की लॉ मिनिस्ट्री ने बयान जारी करते हुए कहा कि राष्ट्रपति यून सुक योल ने देश में मॉर्शल लॉ लगाकर देश को खतरे में डाल दिया था. पता चला है कि उनके खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी की जा रही है.

राष्ट्रपति यून सुक योल ने मॉर्शल लॉ लगाते ही संसद में विशेष बल और हेलिकॉप्टर भेजे थे, जिसे विपक्ष ने नकार दिया था. इसके साथ-साथ विपक्ष ने राष्ट्रपति को यह आदेश वापस लेने के लिए मजबूर भी किया. इसके बाद से ही देश के हालात लगातार बिगड़ रहे हैं. देश की जनता संसद के बाहर विरोध-प्रदर्शन कर रही है. हालात को बिगड़ता देख 6 घंटे के भीतर ही मॉर्शल लॉ को वापस ले लिया गया था. इसके साथ ही पूर्व रक्षा मंत्री को भी गिरफ्तार किया जा चुका है.

दक्षिण कोरिया की न्यूज एजेंसी योनहाप ने बताया कि पूर्व रक्षा मंत्री किम योंग-ह्यून ने मार्शल लॉ में अपनी भूमिका के लिए औपचारिक रूप से गिरफ्तार होने से कुछ समय पहले खुद को मारने की कोशिश की.

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सीरिया में क्यों हो रहा है गृहयुद्ध, विद्रोहियों की क्या है मांग; यहां जानिए सबकुछ https://upheadline.live/2024/12/08/why-is-there-a-civil-war-in-syria-what-are-the-demands-of-the-rebels-know-everything-here/ https://upheadline.live/2024/12/08/why-is-there-a-civil-war-in-syria-what-are-the-demands-of-the-rebels-know-everything-here/#respond Sun, 08 Dec 2024 11:04:41 +0000 https://indiavoicetimes.com/?p=1896 दमिश्क: सीरियाई विद्रोहियों ने देश के प्रमुख शहरों पर नियंत्रण करने के बाद राजधानी दमिश्क में दाखिल हो गए. इस बीच राष्ट्रपति बशर अल-असद रविवार को विमान से ‘अज्ञात स्थान’ के लिए रवाना हो गए, इस घटनाक्रम की पुष्टि सेना के अधिकारियों ने रॉयटर्स से की. इससे पहले शनिवार को सीरियाई विद्रोहियों ने चार शहरों, दारा, कुनेत्रा, सुवेदा और होम्स पर कब्जा कर लिया था.

विद्रोही समूह के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल हसन अब्दुल गनी ने रविवार की सुबह राजधानी दमिश्क पर कब्जा करने की पुष्टि करते हुए कहा, “हमारी नजर अब राजधानी दमिश्क पर है.” वहीं, राजधानी में सेना की तैनाती के कोई संकेत नहीं थे, क्योंकि विद्रोहियों ने शहर को घेर लिया था, जिसके कारण सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद को विमान में सवार होकर शहर छोड़ना पड़ा.

कौन हैं सीरियाई विद्रोही?

सीरिया में सबसे शक्तिशाली विद्रोही समूह हयात तहरीर अल-शाम (HTS) ने 27 नवंबर को राष्ट्रपति असद के शासन के खिलाफ एक हमला किया था. एचटीएस तुर्की समर्थित सीरियाई मिलिशिया के तहत आने वाले एक समूह के साथ मिलकर काम कर रहा है, जिसे सीरियाई राष्ट्रीय सेना के रूप में जाना जाता है.पिछले दस दिनों में विद्रोही समूह ने 24 साल से चल रहे असद शासन को कड़ी चुनौती दी. ये सरकार विरोधी ताकतें देश को असद प्रशासन से ‘आजाद’ कराने का लक्ष्य बना रही हैं.

एचटीएस अल-कायदा से अलग हुआ गुट है और इसे संयुक्त राज्य अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी संगठन करार दिया गया है. हालांकि, हाल के वर्षों में समूह ने कहा है कि उसने अपने मूल समूह-अल-कायदा के साथ संबंध तोड़ लिए हैं.

वे किसके लिए लड़ रहे हैं?

एचटीएस नेता अबू मोहम्मद अल-गोलानी ने इस सप्ताह की शुरुआत में सीएनएन को बताया था कि उनके समूह के हमले का लक्ष्य असद शासन को ‘उखाड़ना’ है. अल-गोलानी आज सबसे ज्यादा पहचाने जाने वाले विद्रोहियों में से एक हैं. उन्होंने 2016 में अल-कायदा से नाता तोड़कर अपने समूह का नाम बदला था.

रायटर ने सीरिया विशेषज्ञ और ओक्लाहोमा विश्वविद्यालय में मध्य पूर्व अध्ययन केंद्र के प्रमुख जोशू लैंडिस के हवाले से कहा, “गोलानी असद से ज़्यादा होशियार रहे हैं. उन्होंने अपने आपको बदला है, नए सिरे से तैयार किया है, नए सहयोगी बनाए हैं और अल्पसंख्यकों के प्रति अपने आकर्षण के साथ आगे आए हैं.”

गोलानी और उनका एचटीएस, जिसे पहले नुसरा फ्रंट कहा जाता था, सबसे शक्तिशाली विद्रोही समूह के रूप में उभरा है. इसने दस साल से भी ज़्यादा पहले शुरू हुए विद्रोह में असद प्रशासन के लिए खतरा पैदा किया.

एचटीएस का तुर्की समर्थन

हालांकि, एचटीएस और सीरियाई राष्ट्रीय सेना इस समय एक साथ काम कर रहे हैं, लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि उनके उद्देश्य अलग-अलग नहीं होंगे. तुर्की समर्थित मिलिशिया भी अपनी सीमा के पास एक बफर जोन बनाना चाहते हैं, ताकि अंकारा के साथ मतभेद रखने वाले कुर्द उग्रवादियों को दूर रखा जा सके.

हालांकि, यह सच है कि तुर्की असद के शासन को उखाड़ फेंकने की कोशिश कर रहे लड़ाकों का एक बड़ा समर्थक रहा है, लेकिन हाल के दिनों में इसने सुलह का आह्वान किया है. तुर्की अधिकारियों ने सीरिया में मौजूदा हमले में किसी भी तरह की संलिप्तता के दावों को भी सख्ती से खारिज किया है.

असद शासन के पास सिर्फ 3 शहर का कंट्रोल

विपक्षी सेना के हमले के साथ ही सीरियाई सरकार के पास अब 14 प्रांतीय राजधानियों में से सिर्फ तीन, दमिश्क, लताकिया और टार्टस पर नियंत्रण रह गया है. वर्तमान में, पूर्वी सीरिया के अधिकांश हिस्से पर कुर्द नेतृत्व वाले समूह, सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेस का नियंत्रण है, जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका का समर्थन प्राप्त है.

सीरिया के लिए आगे क्या?

अगर सीरियाई सेना विद्रोहियों का मुकाबला नहीं कर पाती है, तो बहस करने के लिए कुछ नहीं बचेगा. एपी की रिपोर्ट के मुताबिक एचटीएस के प्रवक्ता हसन अब्दुल-गनी ने टेलीग्राम पर पोस्ट किया था कि विपक्षी सेना राजधानी दमिश्क को घेरकर अपने हमले के अंतिम चरण को अंजाम दे रही है.

सीरियाई विद्रोहियों ने शनिवार को होम्स के केंद्रीय शहर पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया, जो सीरिया का तीसरा सबसे बड़ा शहर है. इसका मतलब है कि दमिश्क, असद की सत्ता और तटीय क्षेत्र के बीच का संपर्क टूट गया है.

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द. कोरिया: राष्ट्रपति ने रक्षा प्रमुख को हटाया, संसद में महाभियोग पर मतदान की तैयारी https://upheadline.live/2024/12/05/the-korea-president-removed-the-defense-chief-preparations-for-voting-on-impeachment-in-the-parliament/ https://upheadline.live/2024/12/05/the-korea-president-removed-the-defense-chief-preparations-for-voting-on-impeachment-in-the-parliament/#respond Thu, 05 Dec 2024 10:35:05 +0000 https://indiavoicetimes.com/?p=1851 दक्षिण कोरिया में लगातार बवाल मचा हुआ है। यहां के हालात तब ज्यादा बदतर हो गए, जब तीन दिसंबर की रात राष्ट्रपति यून सुक-योल ने इमरजेंसी यानी मार्शल लॉ लगाने का एलान किया। इसके विरोध में देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। विरोध के चलते आखिरकार महज कुछ घंटों के भीतर ही राष्ट्रपति को मार्शल लॉ समाप्त करना पड़ा। हालांकि, इसके बाद माहौल और बिगड़ गया और रक्षा मंत्री किम योंग-ह्यून ने मार्शल लॉ लगाने की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर अब सउदी अरब के राजदूत चोई ब्युंग ह्यूक को यह जिम्मेदारी सौंपी है।

इन लोगों ने भी दिया इस्तीफा

किम योंग-ह्यून ने भ्रम फैलाने और परेशानी पैदा करने के लिए देश की जनता से माफी मांगी थी। चीफ ऑफ स्टाफ चुंग जिन-सुक और नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर शिन वोन-सिक ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे स्वीकार किए जाएंगे या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है।

यह है आरोप

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और विपक्षी सदस्यों द्वारा राष्ट्रपति यून पर महाभियोग लगाने के लिए दायर किए गए दस्तावेजों में कहा गया है कि किम ने यून को मार्शल लॉ लगाने की सिफारिश की थी। राष्ट्रपति के चीफ ऑफ स्टाफ चुंग जिन-सुक ने नवनियुक्त रक्षा मंत्री चोई को सिद्धांतवादी व्यक्ति बताया। उन्होंने कहा कि वह समर्पण के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं और नियमों का पालन करते हैं।

मार्श लॉ लगाने को लेकर राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग चलाने की मांग

दक्षिण कोरिया में विपक्ष के नेतृत्व वाले गठबंधन ने बुधवार को नेशनल असेंबली (संसद) में मार्शल लॉ लगाने की असफल प्रयास को लेकर राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने का प्रस्ताव पेश किया, हालांकि उनकी पार्टी ने इस कदम का विरोध किया है। सत्तारूढ़ पीपुल्स पावर पार्टी के वरिष्ठ नेता चू क्यूंग-हो ने कहा, ‘पीपुल्स पावर पार्टी के सभी 108 सांसद राष्ट्रपति के महाभियोग को खारिज करने के लिए एकजुट रहेंगे।’

राष्ट्रपति को बताया देशद्रोह

मुख्य विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी ने मार्शल लॉ लागू करने के कदम को राष्ट्रपति यून द्वारा देशद्रोह कहा और यह स्पष्ट है कि पार्टी शनिवार तक राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने के लिए मतदान करने के लिए विधेयक का नेतृत्व करेगी। डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद किम सेउंग-वोन ने नेशनल असेंबली में कहा, ‘यून सुक-योल शासन द्वारा आपातकालीन मार्शल लॉ की घोषणा ने हमारे लोगों में बहुत भ्रम और भय पैदा किया है।’

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12 मंत्रियों का इस्तीफा और अब अपनी कुर्सी पर खतरा… मार्शल लॉ लगाकर बुरे फंसे दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति https://upheadline.live/2024/12/04/resignation-of-12-ministers-and-now-south-korean-president-is-in-trouble-by-imposing-martial-law-on-his-chair/ https://upheadline.live/2024/12/04/resignation-of-12-ministers-and-now-south-korean-president-is-in-trouble-by-imposing-martial-law-on-his-chair/#respond Wed, 04 Dec 2024 11:00:31 +0000 https://indiavoicetimes.com/?p=1813 सियोल: दक्षिण कोरियाई में पिछले कुछ घंटों में बड़े फैसले लिए गए जिससे वैश्विक स्तर पर खलबली मच गयी. हालांकि, बाद में सांसदों ने इस फैसले को अस्वीकार कर दिया गया. दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल ने पहले मार्शल लॉ लागू करने की घोषणा की. इसके बाद विपक्ष लामबंद हुआ और इसका कड़ा विरोध किया. फिर सांसदों ने बहुमत से मार्शल लॉ को खारिज कर दिया.

योनहाप समाचार एजेंसी के अनुसार नेशनल असेंबली द्वारा मार्शल लॉ को समाप्त करने के लिए सांसदों ने मतदान किया. इसमें सांसदों ने सर्वसम्मति से बहुमत से इस लॉ को अस्वीकार कर दिया. इसके बाद फिर से राष्ट्रपति यून सुक-योल ने मार्शल लॉ हटाने की घोषणा की.

राष्ट्रपति ने क्यों लगाया मार्शल लॉ

राष्ट्रपति यून ने मार्शल लॉ लगाने के बारे में कहा कि सरकार को खतरे से बचाने के लिए ऐसा किया गया. विपक्षी दलों के रवैसे से सरकार ‘पंगु’ हो रही थी. उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया की कम्युनिस्ट ताकतों के खतरों से बचाने के लिए ये कदम उठाए. घिनौने तत्वों को नष्ट करने के लिए ये फैसला लेना पड़ा. आपातकाल की घोषणा ने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी.

अपने ठिकानों पर लौट सैनिक

दक्षिण कोरिया के संयुक्त चीफ ऑफ स्टाफ ने पुष्टि की है कि मार्शल लॉ लागू करने के लिए तैनात सैनिक अपने ठिकानों पर लौट आए हैं. ये सामान्य स्थिति की ओर लौटने का संकेत है. राष्ट्रपति यून ने कहा कि मार्शल लॉ देश को राज्य विरोधी ताकतों से बचाने के लिए घोषित किया गया था जो इसके कामकाज और संवैधानिक व्यवस्था को बाधित करने की कोशिश कर रहे थे. हालांकि, नेशनल असेंबली द्वारा इसे निरस्त करने की मांग के बाद उन्होंने सैनिकों को वापस बुला लिया.

राष्ट्रपति यून कहा, ‘मैंने देश को बचाने के अपने दृढ़ इरादे के साथ मार्शल लॉ की घोषणा की. ये राज्य विरोधी ताकतों के सामने है जो देश के आवश्यक कार्य और स्वतंत्र लोकतंत्र की संवैधानिक व्यवस्था को पंगु बनाने का प्रयास कर रही हैं.’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन नेशनल असेंबली की ओर से मार्शल लॉ हटाने की मांग की गई. मार्शल लॉ के मामलों को अंजाम देने के लिए तैनात सैनिकों को वापस बुला लिया.’

राष्ट्रपति यून सुक-योल के खिलाफ महाभियोग की धमकी

राष्ट्रपति यून सुक-योल द्वारा अचानक मार्शल लॉ लगाए जाने के बाद दक्षिण कोरियाई नेताओं में खलबली मच गई. विपक्षी दल के निशाने पर पहले से रहे राष्ट्रपति यून के खिलाफ गतिविधि तेज की गई. कड़े विरोध के बाद सांसदों ने बहुमत से मार्शल लॉ को रद्द किया. इसके बाद विपक्षी नेता नरम पड़े. हालांकि, मार्शल लॉ हटाये जाने के बावजूद विपक्ष के सदस्यों ने यून की आलोचना तेज कर दी है. कुछ ने राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने की धमकी भी दी है. रीबिल्डिंग कोरिया पार्टी के नेता ह्वांग अन-हा ने सैन्य लामबंदी की निंदा की तथा महाभियोग प्रस्ताव लाने के अपने इरादे का संकेत दिया.

अमेरिका ने मार्शन लॉ रद्द होने पर संतोष जताया

मार्शल लॉ की घोषणा से पूरा देश स्तब्ध रह गया था. इस बीच अमेरिका सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आई. इस घटनाक्रम पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई. मार्शल लॉ को पलटने के बाद व्हाइट हाउस ने कहा कि उसे राहत मिली है. साथ ही इस बात पर जोर दिया कि लोकतंत्र अमेरिका-दक्षिण कोरिया गठबंधन की आधारशिला है.

रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, ‘हमें राहत मिली है कि राष्ट्रपति यून ने मार्शल लॉ की अपनी चिंताजनक घोषणा के फैसले को पलट दिया है. इसे समाप्त करने के लिए आरओके नेशनल असेंबली के वोट का सम्मान किया है. बयान में कहा गया है कि हम स्थिति पर नजर रखना जारी रखेंगे.’

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बांग्लादेश में अब भारतीय चैनलों पर रोक लगाने की मांग, हाईकोर्ट में याचिका दायर https://upheadline.live/2024/12/03/now-petition-filed-in-high-court-demanding-ban-on-indian-channels-in-bangladesh/ https://upheadline.live/2024/12/03/now-petition-filed-in-high-court-demanding-ban-on-indian-channels-in-bangladesh/#respond Tue, 03 Dec 2024 09:57:32 +0000 https://indiavoicetimes.com/?p=1781 ढाका: ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की गई है. इस याचिका में बांग्लादेशी संस्कृति और समाज पर भारतीय मीडिया के प्रभाव पर बढ़ती चिंताओं का हवाला देते हुए देश में भारतीय टीवी चैनलों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है. सोमवार को याचिका दायर करने वाले वकील एखलास उद्दीन भुइयां ने भारतीय टीवी चैनलों के प्रसारण पर रोक लगाने के लिए केबल टेलीविजन नेटवर्क ऑपरेशन एक्ट 2006 के तहत निर्देश देने की मांग की है.

ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, इसमें यह भी पूछा गया है कि बांग्लादेश में भारतीय टीवी चैनलों पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश देने वाला नियम क्यों नहीं जारी किया जाना चाहिए. न्यायमूर्ति फातिमा नजीब और न्यायमूर्ति सिकदर महमूदुर रजी की उच्च न्यायालय की पीठ में आवेदन पर सुनवाई हो सकती है. याचिका में सूचना मंत्रालय और गृह मंत्रालय के सचिव, बांग्लादेश दूरसंचार नियामक आयोग (बीटीआरसी) और अन्य को प्रतिवादी बनाया गया है.

ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, याचिका में स्टार जलसा, स्टार प्लस, जी बांग्ला, रिपब्लिक बांग्ला और अन्य सभी भारतीय टीवी चैनलों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि भारतीय चैनलों पर भड़काऊ खबरें प्रसारित की जा रही हैं. बांग्लादेशी संस्कृति का विरोध करने वाली सामग्री का अनियंत्रित प्रसारण युवाओं को बर्बाद कर रहा है. इसके अलावा, यह आरोप लगाया गया है कि ये चैनल किसी भी नियमन का पालन किए बिना काम करते हैं.

उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ हिंसक हमलों में वृद्धि देखी गई है, जिससे अधिक सुरक्षा और समर्थन की मांग की जा रही है. बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा बढ़ रही है. मंदिरों को नष्ट करने के आरोप भी लगाये जा रहे हैं.

देशद्रोह के आरोप में पूर्व पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद. 27 नवंबर को चटगांव कोर्ट बिल्डिंग क्षेत्र में पुलिस और दास के कथित अनुयायियों के बीच झड़पों के दौरान एक वकील की हत्या भी कर दी गई. जिससे तनाव और बढ़ गया. भारत ने कई बार बांग्लादेश की स्थिति के बारे में चिंता जताई है और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने का आग्रह किया है.

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